मुक्तक (होली)- जसवीर सिंह हलधर
Updated: Mar 3, 2023, 19:54 IST
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सतयुग से कलगुग तक आयी रीति पुरानी होली की ।
सबको एक रंग में रंगती बात सुहानी होली की ।।
जीत गए प्रहलाद आग से जली होलिका रानी थी ,
पर्व सिखाता है जन जन को प्रीत रूहानी होली की ।।
भीग भीग कर खजुराहो की मूरत जैसी दीख रही है ।
रंगों के इस महापर्व में राधा बनना सीख रही है ।।
नारी से नर का आलिंगन नैसर्गिक संयोग रहा है ,
प्रणय निवेदन दोनो में ही युगों युगों से लीख रही है ।।
:- जसवीर सिंह हलधर, देहरादून