मुक्तक (होली)- जसवीर सिंह हलधर
Fri, 3 Mar 2023

सतयुग से कलगुग तक आयी रीति पुरानी होली की ।
सबको एक रंग में रंगती बात सुहानी होली की ।।
जीत गए प्रहलाद आग से जली होलिका रानी थी ,
पर्व सिखाता है जन जन को प्रीत रूहानी होली की ।।
भीग भीग कर खजुराहो की मूरत जैसी दीख रही है ।
रंगों के इस महापर्व में राधा बनना सीख रही है ।।
नारी से नर का आलिंगन नैसर्गिक संयोग रहा है ,
प्रणय निवेदन दोनो में ही युगों युगों से लीख रही है ।।
:- जसवीर सिंह हलधर, देहरादून