बहुआयामी राम - कर्नल प्रवीण त्रिपाठी

 
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सकल सृष्टि के चालक राम।
मन में बसते बालक राम।
महिती का संकट हरने को।
भू पर आये पालक राम।1

कौशल्या के प्यारे राम।
दशरथ राजदुलारे राम।
गुरुजन मित्रों के मन बसते।
हर आँखों के तारे राम।2

शुचिता के प्रतिपालक राम।
दुष्ट वृत्ति संहारक राम।
वंचित शोषित संग खड़े वो।
दीन-दुखी उद्धारक राम।3

जनजीवन के रक्षक राम।
नाश करें हर भक्षक राम।
नव आदर्श करें स्थापित।
बने धर्म संरक्षक राम।4

सबके मार्गप्रदर्शक राम।
जागृत और विमर्शक राम।
सदा चुनौती का खोजें।
अत्युत्तम दिग्दर्शक राम।5

अवधपुरी के नायक राम
कोशल भाग्य विधायक राम।
रामराज्य स्थापित करके।
बने राष्ट्र उन्नायक राम।6

खुशियों के हैं दाता राम।
जग के भाग्य विधाता राम।
भक्त जनों के संकट टालें।
सबसे रखते नाता राम।7
- कर्नल प्रवीण त्रिपाठी
नोएडा, उत्तर प्रदेश
 

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