मेरी माँ - सुनील गुप्ता

मेरी माँ, हैं मेरी परम आदर्श
ममता वात्सल्य की प्रेममूरत !
पाकर माँ का सदा प्रेम सुस्पर्श......,
खिल उठे जीवन की ये सूरत !!1!!
मेरी माँ, के साथ बिताए दिवस
हैं मुझको हर पल यहां पे सब याद !
मेरे मन कानन बगिया में रचे.......,
होए प्रेम पुष्पों की सतत बरसात !!2!!
मेरी माँ, का जीवन सारा
रहा सदा सेवा में ही बीता !
कभी किसी से कुछ ना चाहा....,
और दिया उम्रभर जिसने जो माँगा !!3!!
मेरी माँ, के चरणों में आ बैठ के
पाया जीवन का सुख मैंने हरेक !
किस्मत मेरी ये खिल उठी......,
और मिली सफलताएं मुझको अनेक !!4!!
मेरी माँ, का मिला सदा वरदहस्त
और छुए जीवन के सभी शिखर !
कभी ना देखी हार यहां पर मैंने .....,
और गया नित मैं और निखर !!5!!
मेरी माँ, का पाकर सुंदर सान्निध्य
हुए सभीजन गर्वित, यहां पर धन्य !
खिल उठा सभी का रोम-रोम......,
और मिले शुभाशीर्वाद दिव्य भव्य !!6!!
मेरी माँ, मेरी आराध्य अर्चना
नित्य करूँ यहां पे मैं पूजा वंदना !
आकर मेरे सपनों में 'माँ ', नित......,
स्वीकार करे हर एक प्रार्थना !!7!!
मेरी माँ, बनी मेरी पथप्रदर्शक
गिरने नहीं दिया मुझको पथ में !
ऐसी प्रेममयी माँ 'प्रेमलता', को पाकर....,
धन्य हुआ मैं अपने इस जीवन में !!8!!
-सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान