नौनिहाल से घर फिर लगने लगा घर - सविता सिंह मीरा

 
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निखरा  निखरा सा  लगे  क्यों  यह  सारा शहर, 
बहक रहे कदम मेरे किस चीज का है  यह असर, 
चौखट पर आज मेरे दीखते हैं कई  जोड़े चप्पलें, 
नौनिहालों के आगमन से मकान  लग रहा है घर|

बिखरा  सा   घर  अब  तो   मुझे  भाने   लगा, 
बच्चे   हैं   घर   में   उपस्थिति  दर्ज  कराने  लगा, 
अव्यवस्थित   घर परिचायक है संग है मेरे  लाल, 
सहेजी   हुई   वस्तुओं से  जी अब कतराने लगा| 

फिर   आज   देहरी   पर रह गई दो जोड़ी चप्पलें, 
तो   कैसे   आ   रही   घर  से बच्चों की कोलाहलें, 
कैद   कर रखी   है बच्चों की माँ ने उनकी हरकतें,
रुंधे कंठ से कहा चलो 6" के यंत्र पर उन्हें देख  लें|
- सविता सिंह मीरा, जमशेदपुर
 

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