नेपाली मुक्तक - डा.दिव्य-प्रियंवदा काफ्ले आचार्य

 
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कसैले फेरि प्रेमको भ्रम छर्न सक्छ, 
सत्य नबुझेर पुन: भ्रम पर्न सक्छ।
सावधान हुनुपर्छ सबैसित सँधै सँधै,
नत्र कमलो मन बारबार मर्न सक्छ ।
हिंदी -
क्या कोई फिर से प्यार का भरम फैला सकता है,
बिना सत्य समझे भ्रम फिर से हो सकता है।
हमेशा हमेशा सबसे सावधान रहना है,
वरना कमलो का दिल बार बार मर जाए।
- डा.दिव्य-प्रियंवदा काफ्ले आचार्य, काठमांडू, नेपाल 

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