हे महावीर तुम्हें वंदन - कालिका प्रसाद 

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पवन पुत्र  मां अंजनी के लाल,
तुम हो बडे़ वीर और बलवान,
राम भक्ति में रहते हो तुम लीन 
हे महावीर तुम्हें शत् शत् वंदन।

त्रेता युग में रुद्रावतार में आये, 
केसरी नंदन के घर पर प्रभु जी,
कपि   रुप   में   पधारे   थे,
हे महावीर तुम्हें शत् -शत् वंदन।

लंका   जाकर  श्री हनुमान  जी ने
सीता  मैया  का  पता  लगाया है,
रावण ने किया हनुमान जी अपमान
लंका को जला कर मिट्टी में मिलाया। 

गुड़ ,चना ,खीर,  चूरमा  हलवा, 
इनको  लगते  हैं  अति  प्यारे,
जो  भी नर   ये प्रसाद  चढ़ाएं,
वह नर हनुमान जी कृपा पाये।

जहां पर भी राम नाम चर्चा होती,
हनुमान जी वहां पर  प्रकट  होते,
इनकी   महिमा  अपरम्पार  है,
हे महावीर तुम्हें शत् शत् वंदन।
-कालिका प्रसाद सेमवाल
मानस सदन अपर बाजार
रुद्रप्रयाग उत्तराखंड
 

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