पिया मिलन - डा० क्षमा कौशिक

 
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पावस पयस पयोध घन 
बरस रहे बे अंत,
प्रेमाकुल आतुर जिया 
कल न परे बिन कंत।  
प्रेम भरी रस की गागरी 
हुलर उमगते अंग,
पिया मिलन को बांवरी 
भूल गई सब ढंग।
- डा० क्षमा कौशिक, देहरादून , उत्तराखंड

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