कविता - रोहित आनंद 

 
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जब तक रहेगी ये प्राण हयात में,
ओ जब तक रहेगी ये प्राण हयात में।।

कहीं मोहब्बत तो कहीं टक्कर मिलेगा,
ओ कहीं मोहब्बत तो कहीं टक्कर मिलेगा।।
कहीं बनेंगे रिश्ते हृदय से,
अरे कहीं बनेंगे रिश्ते हृदय से।।

तो कहीं खुदकुशी का हानी मिलेगा,
हानी मिलेगा भाई हानी मिलेगा।।
कहीं मिलेगी प्राण में खुशी,
प्राण में खुशी ओ प्राण में खुशी।।

तो कहीं विराग का प्रवाह मिलेगा,
प्रवाह मिलेगा ओ प्रवाह मिलेगा।।
कहीं मिलेगी सच्चे मन से याचना,
कहीं विचार में दुर्भाग्य मिलेगा।।

तो कहीं बनेंगे बेगाना रिश्ते भी आपने तो,
कहीं अपनों से ही नाराजगी मिलेगा।।
नाराजगी मिलेगा,नाराजगी मिलेगा।।

कहीं होगी प्रसन्नता चेहरे पर तो,
कहीं पीठ पर खोटापन का जख्म मिलेगा।।
जख्म मिलेगा, ओ जख्म मिलेगा।।

तू चलता चल मुसाफिर अपने कर्मपथ पर,
कर्मपथ पर ओ साथी कर्मपथ पर।।
जैसा तेरा काबिलियत रहेगा, वैसा तुझे साया मिलेगा।।

रख आदत में चोखा, अरे रख आदत में चोखा।।
हां जरूर तुम्हें जिंदगी का पड़ाव मिलेगा,
अरे हां तुम्हें जिंदगी का पड़ाव मिलेगा।।
- रोहित आनंद, मेहरपुर, बांका, बिहार
 

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