माँ से प्रार्थना - कर्नल प्रवीण त्रिपाठी

 
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हे मातु अंबे राम को प्रेरित पुनः अब कीजिये।
संहार हर रावण करें यह प्रेरणा भर दीजिये।
संसार फिर सुखमय बने वरदान इतना दीजिये।

है घोर कलयुग दानवों सम आज मानव हो रहा।
अब बोझ पापों का निरंतर शीश पर वह ढो रहा।
रघुवीर पुनि-पुनि जन्म लें माते सुनिश्चित कीजिये।

धरती सुरक्षित रह सके संसार के  हर दुख टरें।
अवधेश सा कर आचरण जीवन सफल अपने करें।
करके दहन सब तामसी गुण सर्व मंगल कीजिए।

हर द्वेष और कलुष मिटे संस्कार पोषित हम करें।
कर नाश हिय की कालिमा सब दूर मन का तम करें।
नवमी विजय दशमी बड़े शुभ आप मंगल कीजिये।।

अंब के' रूप बड़े मनभावन, संकट वो जग के हर लेतीं।
त्रस्त करें जब दानव तो सुधि, भक्त जनों की'  निरंतर लेतीं।
देव पुकार करें बन कातर, रूप नवीन सदा धर लेतीं।
शुम्भ-निशुम्भ भले महिषासुर, प्राण तुरंत वहीं हर लेतीं।
- कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, उत्तर प्रदेश
 

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