प्रेम - रोहित आनंद
Thu, 25 May 2023

पूर्व से मतवा ला नहीं था,
कि पूर्व से मतवाला नहीं था।।
साहब बनाया गया है,
करके विश्वास किसी पर,
कि करके विश्वास किसी पर।
धोखा खाया गया है,
अरे धोखा खाया गया है।।
आज तक लिखते रहे हैं,
कि आज तक लिखते रहे हैं।
उनकी यथार्थ,
प्रेम पर।
अब गलती पर लिखने को,
कलम उठाया गया है।।
जब भी हर्षित होती है तो,
कि जब भी हर्षित होती है तो।
मेरी उसे खयाल तक न आती,
मेरी उसे खयाल तक न आती।।
कभी पड़ती अगर विपत्ति में,
कि कभी पड़ती अगर विपत्ति में।
पहले हमें ही बताया है,
कि पहले हमें ही बताया है।।
- रोहित आनंद, मेहरपुर, बांका, बिहार