प्यार के दरमियाँ - राधा शैलेन्द्र
Oct 9, 2024, 22:29 IST
तेरे मेरे प्यार के दरमियां क्यों यादें ही आ जाती है,
मैं कितनी भी दूर जाऊं तुम से खुद में तुम्हीं को पाती हूँ!
लम्हा लम्हा प्यार का वो पल दिल में ही तो पाती हूँ!
तुम्हारी यादें प्यार का सावन मुझपर ही बरसाती है!
सूखे फूल गुलाबों के किताबों में महकते है
तुमसे छिपायी तुम्हारी तस्वीरें तुमसे कम
मुझसे बातें ज्यादा करती है!
छूकर निकला जो झोंका हवा का
आकर मुझसे तुम्हारी सारी बातें
चुपके से वो कह गया..........
कैसे कहूं क्यूं तेरे मेरे
प्यार के दरमियाँ यादें हीं आ जाती है........
- राधा शैलेन्द्र, भागलपुर