राममय मुक्तावली - कर्नल प्रवीण त्रिपाठी

 
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नव विग्रह के संग विराजें, भूतल में प्रिय भ्राता चार।
तल द्वितीय होगा मनभावन, जिसमें सजे राम दरबार।
अंतिम तल पर कक्ष मंत्रणा, मंदिर को करता परिपूर्ण,
परकोटे में देव-देवियाँ, देंगे प्रांगण को विस्तार।
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कायाकल्प हुआ नगरी का, अवधपुरी अब करती गर्व।
गलियों-घाटों चौराहों का, रूप-भाग्य बदला अब सर्व।
आना-जाना सुगम हुआ है, जबसे आए बालक राम,
उत्सव का माहौल दिख रहा, जन-जन मन रहा है पर्व।
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डुबकी पुण्यमयी सरयू में, प्रथम लगाते सब अविराम।
कर दर्शन हनुमान गढ़ी में, अनुमति ले कर आते धाम।
दशरथ-कनक भवन अति पावन, भक्त नवाते अपना शीश,
बाल रूप के दर्शन पाकर, सारे बोलें जय श्री राम।
- कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, उत्तर प्रदेश

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