रंगोत्सव - कर्नल प्रवीण त्रिपाठी

pic

होलिका फिर से दहन हो आज फिर मधुमास में।
हर बुराई का शमन हो आज फिर मधुमास में।
दूर हर कटुता करेंगे नित बढ़ा सद्भावना,
फाग-रँग में मन मगन हो आज फिर मधुमास में।

आ गई होली पुनः अब जोश से दिल भर गए।
दूर चिन्ताएं हुईं दुख-दर्द सब के हर गए।
रंग उत्सव की बधाई प्रेम से स्वीकारिये,
नेह की पिचकारियों से सर्व तनमन तर गए।

मन प्रफुल्लित हो गए जब फाग के स्वर बह उठे।
झाँझ मंजीरों के सँग में ढोल थापे बज उठे।
धार रंगों की बही अरु बह रहीं स्वर लहरियाँ।
रंग बासंती पहन तन-मन सभी के सज उठे।
प्रवीण व मीनू त्रिपाठी, नोएडा, उत्तर प्रदेश
 

Share this story