गणतंत्र दिवस - सुनील गुप्ता
(1)" ग ", गगन
पे चले लहराए
भारत का तिरंगा न्यारा !
जन मन गण हर्षाए मुस्कुराए....,
बना आन बान का प्रतीक तिरंगा प्यारा !!
(2)" ण ", णमो
नमो हे भारत माता
चलें गाएं विजय गाथा !
स्वाभिमान और अस्मिता का...,
है ये पर्व बड़ा ही पुनीत निराला !!
(3)" तं ", तंभ/स्तंभ
बना भारतीय संविधान
गणतंत्र की हुई स्थापना !
हरेक कार्य होता चला संपन्न निर्विघ्न.,
गणराज्य ने करी साकार परिकल्पना !!
(4)" त्र ", त्रय
रंगो से सुशोभित
है भारतीय तिरंगा परचम !
बन गणतंत्र हुआ देश गौरवान्वित..,
और चला उन्नति विकास करता हरदम !!
(5)" दि ", दिक्पाल
की तरह सदा
करी है संविधान ने रक्षा !
और करता चला ये मार्ग प्रशस्त....,
बढ़ाई देश में सामाजिक समरसता !!
(6)" व ", वतन
की आन बान
बना संविधान से गणतंत्र महान !
और बढ़ती चली गयी देश की शान..,
प्रगति पथ पे चला बढ़ता हिंदुस्तान !!
(7)" स ", सहर्ष
चलें कर्तव्य पथ पे
बढ़ते सैनानी वीर बहादुर !
दिखलाएं विकास की विभिन्न झाँकियाँ..,
और हर राज्य की उपलब्धि गाथाएं सुंदर !!
(8)"गणतंत्र दिवस", गणतंत्र दिवस
मना रहे अमृतकाल का
जोश उल्लास उमंगों साथ !
नित देश छू रहा बुलंदियों को..,
अब बढ़ रही भारत की साख !!
(9)"गणतंत्र दिवस", गणतंत्र दिवस
है लोकतंत्र का उत्सव
संविधान में विश्वास का पर्व !
मनाएं जोश-ओ-ख़रोश संग.,
चलें बाँटते खुशियाँ और हर्ष !!
सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान