मतदाता की जिम्मेदारी - कर्नल प्रवीण त्रिपाठी
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लोकतंत्र का पर्व अनूठा, पाँच वर्ष में आता है,
होने वाले हर चुनाव से, सबका गहरा नाता है।
जनता की भागीदारी से, सब सरकारें चलती हैं,
लोगों की ताकत के बल पर, बनती और बिगड़ती हैं।
मतदाता ही केंद्र बिंदु है, शक्तिपुंज जनतंत्र का,
सही पात्र सत्ता में लाकर, निज दायित्व निभाता है।1
लोकतंत्र का पर्व अनूठा, पाँच वर्ष में आता है।
जागरूक होना है सबको, सही गलत को पहचानें,
किसमें है सामर्थ्य अधिकतम, सक्षम होकर ये जानें।
जाति-धर्म पैसों के बल पर, कभी नहीं हम मत बदलें,
सोच-समझ जो करे फैसला, वह अच्छा मतदाता है।2
लोकतंत्र का पर्व अनूठा, पाँच वर्ष में आता है।
नियत दिवस पर सारे जाकर, सर्वप्रथम मतदान करें,
नव सरकार बनाकर हम सब, अपने पर अभिमान करें।
अपने सँग सबको प्रेरित कर, ले जाएं मतदान को,
जागरूक भारत का जन-जन, निज विवेक दिखलाता है।3
लोकतंत्र का पर्व अनूठा, पाँच वर्ष में आता है।
- कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, उत्तर प्रदेश