प्यार के नगमों के शानदार गीतकार संतोष आनंद - डॉ.मुकेश कबीर

 
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Utkarshexpress.com - संतोष आनंद उन चार पांच गीतकारों में से हैं जिन्होंने फिल्मी दुनिया में भी राज किया और मंच पर भी।संतोष आनंद कितने प्रभावी हैं इसका अंदाज इस बात से लगा सकते हैं कि उनके गीत "इक प्यार का नगमा" को बीबीसी ने शताब्दी का सर्वश्रेष्ठ गीत चुना था और कवि सम्मेलनों के तो वो सरताज रहे ही हैं।उनकी प्रस्तुति की ईमानदार समीक्षा की जाए तो मैं कहूंगा कि वो अपने गीत फिल्मी गायकों से भी अच्छे तरीके से सुनाते थे। इक प्यार का नगमा और जिंदगी की न टूटे लड़ी को उन्होंने लता जी और मुकेश से कई गुना अच्छा सुनाया है,मैं यहां सुर की बात नहीं कर रहा लेकिन जब संतोष आनंद अपने दिनों में यह गीत सुनाते थे तो अद्भुत आल्हाद पैदा कर देते थे और रटे रटाए गीत में भी ऐसी ताजगी भरते कि श्रोता भाव विभोर होकर तालियों का आंदोलन खड़ा कर देते,कई बार तो यह निर्णय करना मुश्किल हो जाता कि वह श्रृंगार के कवि हैं या वीर रस के। असल में उनका दिल श्रृंगार का है लेकिन जीवट वीर रस का,जीवट के मामले में संतोष जी महाप्राण निराला से कहीं भी कम नहीं हैं।दो साल पहले नेहा कक्कड़ ने उनकी मुफलिसी को देखकर उन्हें पैसे दिए थे लेकिन इस खबर को गलत तरीके से वायरल किया गया जो एक स्वाभिमानी कवि की गरिमा को ठेस पहुंचाता है क्योंकि उन्होंने पैसे मांगे नही थे बल्कि नेहा ने खुद दिए थे और यह कहकर दिए थे कि मुझे अपनी पोती समझकर रख लीजिए और नेहा के भाव का मान उन्होंने रख लिया वरना संतोषआनंद जी वो इंसान हैं जिन्होंने अपना जवान बेटा खोकर भी हार नहीं मानी और एक्सीडेंट में रीढ़ की हड्डी टूटने पर भी उनकी कमर ही झुकी वो नहीं झुके।काफी कुछ कहने को है उनके बारे में लेकिन अभी यही कहूंगा कि "जिंदगी की न टूटे लड़ी...  (विभूति फीचर्स)

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