सऊदी अरब भी बेचेगा शराब, विदेशी मुद्रा कमाने के लिए नया कदम - राकेश अचल

 
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utkarshexpress.com सऊदी अरब - दुनिया में इन दिनों इस्लाम को सबसे ज्यादा कट्टर धर्म माना जाता है। इस्लामिक कानून भी दीगर धर्म आधारित देशों के कानूनों के मुकाबले सख्त और अमानवीय माने जाते हैं,किन्तु अब दुनिया के एक प्रमुख इस्लामिक देश सऊदी अरब ने अपने देश में कट्टरता से मुक्ति की ओर बढ़ते हुए अपने देश में विदेशियों के लिए शराब की दुकान खोलने की इजाजत दे दी है।  
सऊदी  अरब के क्राउन प्रिंस बिन सलमान ने देश की राजधानी रियाद में यह मंजूरी दी है । यहां 72  साल पहले शराबबंदी कर दी गयी थी ।  अब गैर इस्लामिक देशों के विदेशी राजनयिक  रियाद में शराब खरीदकर पी सकेंगे। यहां पिछले दिनों महिलाओं को कार चलाने,पुरुषों के साथ कार्यक्रमों में शामिल होने ,सिनेमाघरों में जाने और संगीत के कार्यक्रमों में शामिल होने की छूट भी दी गयी है ।इस्लाम में पहले महिलाओं को ये आजादी नहीं थी। शराब खरीदने के लिए खरीददार को पहले मोबाइल के जरिये अपना पंजीयन करना पडे़गा ,फिर उसे एक कोड मिलेगा जिसके जरिये शराब खरीदी जा सकेगी।  शराब के लिए कोटा भी तय किया जाएगा।

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दुनिया की कुल आबादी में से इस्लाम मानने वालों की आबादी 2  अरब है। इसमें से 85  फीसदी शिया और 15  फीसदी सुन्नी मुसलमान हैं।इस्लाम कोई 1400  साल पुराना धर्म है। इसमें मूर्ति पूजा की मनाही है। इस्लाम की पवित्र पुस्तक कुरान है। इसी के आधार पर क़ानून भी बनाये गए हैं ,लेकिन समय के साथ इस्लाम को मानने वाले बदल भी रहे हैं। सऊदी अरब इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।  सऊदी की अर्थ व्यवस्था तेल पर निर्भर है ।  सऊदी 2030  तक अपनी इस  अर्थव्यवस्था को बदलना चाहता है और पर्यटन पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहा है। दुनिया में जिस तरह से इलेक्ट्रानिक वाहनों का इस्तेमाल बढ़ रहा है उसे देखते हुए आने वाले दिनों में तरल ईंधन पर निर्भरता कम होगी ,ऐसे में आय के दूसरे स्रोत खड़े करने के लिए उदारता बरतना आवश्यक हो गया है।
इसीलिए  इस्लामिक देशों में कट्टरता से मुक्ति के नये रास्ते खोजे जा रहे हैं।कई इस्लामिक देशों में धार्मिक कट्टरता के बावजूद हिन्दू मंदिर बनाये जाने की इजाजत दी जा रही है।
लौटकर सऊदी अरब पर आते हैं।  सऊदी अरब में शराब पर प्रतिबंध साल 1952 से है।  उस समय तत्कालीन बादशाह अब्दुल अजीज के बेटे ने शराब के नशे में एक ब्रिटिश डिप्लोमैट की गोली मारकर हत्या कर दी थी।  जिसके बाद सरकार ने शराब पर प्रतिबंध लगा दिया था । इस पाबंदी को हटाने के लिए प्रिंस को बहुत सोच-विचार करना पड़ा ।  धार्मिक नेताओं का विरोध भी उनके सामने था। आज दुनिया में सऊदी अरब को एक प्रगतिशील इस्लामिक मुल्क माना जाता है।यह भी सौ फीसदी सच है कि दुनिया का कोई भी मुल्क धार्मिक कट्टरता से आगे नहीं बढ़ पाया है। कट्टरता से किसी भी देश की प्रगति नहीं हो सकती और सऊदी अरब ने इस सच को मान भी लिया है।
    भारत में नशे के विरोध को लेकर आंदोलन और अभियान चलते रहते हैं।सऊदी अरब में जैसे तेल अर्थ व्यवस्था का एक बड़ा जरिया है वैसे ही भारत में शराब आधारित अर्थ व्यवस्था है । यहां शराब का कारोबार भ्रष्टाचार का भी एक माध्यम है।  दिल्ली राज्य के मंत्री और राज्यसभा के सदस्य इसी शराब कारोबार में कथित घोटाले को लेकर जेलों में पड़े हैं। महात्मा गाँधी भी शराब के खिलाफ थे लेकिन गांधीवादी सरकारें हों या हिंदूवादी सरकारें किसी ने शराबबंदी नहीं की ।  शराबबंदी हुई भी तो भाजपा शासित गुजरात में या जेडीयू शासित बिहार में। बहरहाल ये युग उदारता का युग है और सभी को उदारता के रास्ते पर ही आगे बढ़ना चाहिए ।(विभूति फीचर्स)
 

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