तेरे रंग में रंगने वाली - सविता सिंह

 
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रंगों से तुम कभी डरना,

रंग बदलते रंग नहीं।

तुम चाहे कितने ही बदलो,

कभी बदलते ढंग नहीं।।

एक रंग छूट कर दूजे को,

खुद के रंग में रंग देता।

पल-पल रंग बदलते रहना,

तेरा क्या है रंग बता।

एक रंग के ही रहना तुम,

जो रंग तेरा पक्का हो।

उसी रंग में रमना तुम तो,

जो रंग तेरा सच्चा हो।

रंग प्रीत का सबसे बेहतर,

बस उसमें ही रम जाना।

सूरज के आते ही जैसे,

तिमिर रात्रि का छँट जाना।

- सविता सिंह मीरा, जमशेदपुर

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