वरिष्ठ  - सुनील गुप्ता 

 
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 (1)"व ", वय आयु में हैं जो हमसे बड़े
             और साठ की उम्र को किया है जिन्होंने पार !
             ऐसे लोगों से करें हम अच्छा बर्ताव.....,
             और दिखलाएं उनके प्रति सदव्यवहार  !!
(2)"रि ", रिश्तों की डोर सदा बंधी होती
              प्रेम स्नेह के नाजुक धागों से  !
              ये ध्यान रहे कि वो टूटने ना पाएं ...,
             और बनें रहें आत्मीय संबंध सदा अपनों से !!
(3)"ष् ",ष्ठीवन की तरह उन्हें बाहर फेंके नहीं
            सदा प्रेम प्यार संग निर्वाह करते चलें  !
            हैं वो हमारे परिवार के बुजुर्ग अग्रज....,
            उनके संग बैठ मधुर बातें किया करें  !!
(4)"ठ", ठठोली हँसी और हास परिहास करके 
            लगाए रखें अपने सभी बड़ों का मन  !
            कभी ना उन्हें अपने से अलग-थलग करें..,
            और बनाएं उन्हें अपना प्रिय दोस्त अभिन्न !!
(5)"वरिष्ठ ", वरिष्ठ हैं जो, सभी हैं वो हमसे हैं श्रेष्ठ
          दें सदा उनको जीवन में प्राथमिकता  !
         और करते चलें उनके मन माफिक काम...,
         ताकि, बनी रहे उनकी समाज में उपयोगिता !!
(6)  सम्मान घर के बड़े बुजुर्गों का करके
       हम परिवार की नींव को देते हैं मजबूत आधार !
       हैं वरिष्ठ नागरिक हमारे लिए सदा पूजनीय..,
       आओ दें उन्हें यथायोग्य प्यार और अधिकार !!
        ष्ठीवन - :थूकना
सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान

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