जीवट हौसलों की मीनार शिखा गोस्वामी - सुधीर श्रीवास्तव

 
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utkarshexpress.com - हमारे जीवन में कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनसे हम जाने अंजाने प्रभावित हो ही जाते हैं,भले ही हमारा उनसे कोई रिश्ता नाता, मेल मिलाप, हो या न हो।आज के आभासी युग में ऐसे लोगों की संख्या एक दो चार दस बीस पचास सौ भी हो सकती है। इसमें भी कुछ ऐसे भी होते हैं, जिन्हें आम जनमानस बेचारगी के भाव का अहसास कराने का जन्म सिद्ध अधिकार समझता है। लेकिन ऐसे लोगों को जीवट हौसलों की मीनार युवा कवयित्री/साहित्यकार शिखा गोस्वामी से सीख लेकर अपनी सोच की दिशा बदल लेनी चाहिए। जो तेजी से अपनी अलग विशिष्ट पहचान बनाने की दिशा में तेजी से अग्रसर हैं। तमाम विसंगतियों और शारीरिक दुश्वारियों को मात देते हुए अपनी साहित्यिक प्रतिभा से जिस तेजी से शिखा खुद को स्थापित करने में जुटी है, वह बेमिसाल तो है ही, प्रेरक भी है।
अमूमन इंसान अपनी विभिन्न कमजोरियों का रोना रोता रहता है, ऐसे में जब एक युवा तरुणी अपने जीवन के तमाम झंझावतों का डटकर सामना करने के साथ ही अपनी साहित्यिक सृजन क्षमता से न केवल अपने को ताकतवर बनाने और न बिखरने की जिद का उदाहरण बनने की निरंतर कोशिशों से जन मानस के अंतस में अपनी छाप छोड़ने को कटिबद्ध तो दिखती ही है, बल्कि बेचारगी के भाव रखने वालों को आइना भी दिखा रही है।
जहां तक मैंनें महसूस किया है उसके अनुसार शिखा ने अपने जीवन की चुनौतियों को ही अपनी प्रतिभा से जोड़ कलम को हथियार बनाकर अपने सपनों को  साकार करने का संकल्प ले लिया है। जो उनके व्यक्तित्व को विशिष्ट और चुंबकीय भी बनाता है। तभी तो अपनी लेखनी को अपना सबसे करीबी माने खुद को साहित्य के प्रति समर्पित कर खुद निश्चिंत करने का भाव अपने में समाहित कर लिया है।
मेरा विश्वास है कि शिखा गोस्वामी जीवन के विविध पक्षों में अपनी जीवटता, समर्पण से अपने व्यक्तिव की विशिष्टता की मीनार बन उदाहरण प्रस्तुत करती रहेंगी। अपनी बहन बेटी के रुप में शिखा के उज्जवल भविष्य की उम्मीद संजोए हुए मैं उन्हें अशेषाशेष  शुभकामनाएं, आशीर्वाद प्रदान करता हूं।  - सुधीर श्रीवास्तव (कवि/ साहित्यकार) गोण्डा,  उत्तर प्रदेश

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