शिवार्चन - कर्नल प्रवीण त्रिपाठी

 
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(श्री मुरुदेश्वर, उत्तर कर्नाटक) -
कर्नाटक में सागर तट पर, वृहद मूर्ति है शंकर की,
आत्मलिंग से है सम्बंधित, छवि अनुपम अभयंकर की।
पद्मासनरत शिव की प्रतिमा, मीलों से दिख जाती है,
अति उतुंग गोपुरम-शिवालय, जय-जय हे क्षेमंकर की।
(श्री गोपेश्वर जी, वृंदावन) -
वृंदावन के गोपेश्वर जी, विविध रूप में दिखते हैं,
दिन में शंकर रूप-रात में, गोपी के सम सजते हैं।
महारास में कृष्ण दरश को, गोपी बन कर शिव आये,
कान्हा ने पहचान लिया, सब इसी रूप को भजते हैं।
(कपालेश्वर जी, चेन्नई) -
कपालेश्वरा-कर्पागम्बल, मायलापुर में बसते हैं,
शंकर-पार्वती के मंदिर, नित भक्तों से भरते हैं।
शीश पुनः ब्रह्मा ने पाया, गौरी का तप सफल हुआ,
भक्तों की हर इच्छाओं की, पूर्ति सदाशिव करते हैं।
(वड़क्कुनाथन महादेव, त्रिशूर) - 
परशुराम जी के आग्रह पर, शिव ने यहाँ निवास किया,
वड़क्कुनाथन महादेव का, इस मंदिर को नाम दिया।
घी से हो अभिषेक शंभु का, विग्रह जिससे ढका हुआ,
शिव कुटुंब की कृपा बरसती, मन से जब भी नाम लिया।
- कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, उत्तर प्रदेश 

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