माँ का पंचम रूप स्कन्दमाता - कालिका प्रसाद सेमवाल

 
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माँ दुर्गा तुम्हारे  अगणित रूप है,

माँ का  पंचम  रूप स्कन्दमाता।

तुम   सर्वव्यापी  और  सर्वज्ञ  हो,

हम तेरे चरणों की आराधना करते है ।

माँ  तुम  सिंह   पर  सवार हो,

तुम  चार भुजा  धारी  हो माता।

हमारे रोम-रोम में तुम बस जाओ,

माँ इस जीवन में  भक्ति जगाओ।

दुर्गुणों कि संहार कर दो स्कन्दमाता,

घर-घर  खुशहाली  ला दो मातेश्वरी।

सबकी   बुद्धि   तुम निर्मल  कर दो,

हृदय   मे संयम, प्रेम, स्नेह भर  दो।

माँ तुम्हारा नित  हृदय  मे वास हो,

हे माँ स्कन्दमाता हे माँ स्कन्दमाता।

-कालिका प्रसाद सेमवाल

मानस सदन अपर बाजार

रूद्रप्रयाग उत्तराखण्ड

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