गीत - मधु शुक्ला
Tue, 25 Apr 2023

परमपिता की वंदना , कर मन सुख पाता।
सत्य मार्ग हमको सदा, ईश्वर दिखलाता।
ज्ञात हमें जब बात यह, वह ऊपर वाला।
संचालक संसार का, पालक है आला।
लोभ मोह तज क्यों नहीं, मानव गुण गाता....... ।
पत्ता जब हिलता नहीं, बिना इशारे के।
आश्रित रहते हैं सभी, ईश सहारे के।
फिर क्यों उसको भूलकर, दम्भी पछताता....... ।
जीवन का उपहार जो, ईश्वर से पाया।
सदुपयोग उसका करो, नश्वर है काया।
नहीं दुवारा लौटता, जो जग से जाता........ ।
— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश