गीत -  मधु शुक्ला

 
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बदल रहा क्यों मन अपनों का, घायल क्यों हैं दिलवाले,
अपनेपन  पर  फैल  रहे  क्यों, मतभेदों  के  नित  जाले।

मनभेदों के लिए जगह यदि, घर में छोड़ी जायेगी,
शंकाओं  का आना होगा, ईर्ष्या  जगह  बनायेगी।
मर्यादा, ममता  रोयेगी, छल  के  उफनेंगे  नाले....... ।

भेदभाव का पालन पोषण, त्याग, क्षमा को डसता है,
खुशी व्यक्त उन्नति पर करना, भाई गलत समझता है।
सद्भावों  से  करे  किनारा, बंधु  शत्रुता  को पाले....... ।

शांति, प्रगति की वर्षा तब ही, वतन, सदन को सींचेगी।
पुष्प खिलेंगे हमदर्दी के, मानवता जब महकेगी।
शेष न होंगे तब दुनियाँ के, आसपास मन के काले...... ।
 — मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश
 

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