गीत - मधु शुक्ला
May 8, 2024, 22:01 IST
तुम वादा कर के भूल गए, हम आस लगाए बैठे हैं,
धनहीन न होगा अब कोई, यह स्वप्न सजाये बैठे हैं।
भारतवासी सब सम होगें, कम अधिक न होगा अब कोई,
क्षमतानुसार यश पायेंगे, आगे भविष्य में सब कोई,
मिलने को रोजगार से हम, बेहद अकुलाए बैठे हैं..... ।
निर्भयता से मेरी बहनें, घर बाहर जीने पायेंगीं,
होगें दहेज के लोभी जो, घर उनके कभी न जायेंगीं,
जाग्रत समाज छवि देख सकें, हम आँख बिछाए बैठे हैं.... ।
ईमानदार सेवक सच्चे, संसद में सभी विराजेंगे,
जनहित प्यारा होगा उनको,वे पद का मोह न पालेंगे,
करने को अभिनंदन उनका, हम शीश झुकाए बैठे हैं....।
— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश