सार छंद - मधु शुक्ला
Thu, 6 Apr 2023

नव पर्ण पुष्प लेकर, मधुमास जब पधारे,
होकर धरा प्रफुल्लित, नभ की तरफ निहारे।
देखे हसीन मौसम, नाचे मयूर वन में,
गाकर मधुर तराने, कोयल मगन स्वजन में।
दृग बाण को चलाकर, करता मदन ठिठोली,
महुआ, पलाश ने मिल, उर मध्य प्रीत घोली।
लाया बसंत जब से, मौसम बहार वाला,
तब से जगी हृदय हर, अभिलाष प्रेम प्याला।
— मधु शुक्ला, सतना . मध्यप्रदेश