दिल हो सागर जैसा  - सुनील गुप्ता 

 
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दिल हो सागर जैसा गहरा 
तो, नदियाँ ख़ुद ही मिलने आएं  !
हो प्यार अगर सच्चा गहरा.....,
तो, प्रभु दर्शन फ़िर हों जाएं !!1!!

हों मन में यदि भाव गहरे
तो, कार्य सफल हो जाएं सारे !
चाहें हो मेघ कितने भी घनेरे......,
बरसे नहीं जब तक धरा पुकारे !!2!!

जीवन को इतना सरल बनाएं 
कि, हर ओर से सब गले लगाएं  !
हर्षाते चलें सबसे यहां मिलते....,
जीवन में आनंद ही बरसाएं  !!3!!

नदी ना पीए स्वयं का जल
वह आ सागर में मिल जाए  !
बरसे सागर मेघा बनकर......, 
जीवन को अमृतजल दे जाए !!4!!

वृक्ष ना खाए स्वयं के फल
वह चले करता सबकुछ अर्पण !
जीवन को जीएं हर क्षण पल....,
करें जीवन प्रभु को समर्पण !!5!!
- सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान
 

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