दिन गुजरते जाते - सुनील गुप्ता
Sat, 11 Mar 2023

दिन गुजरते जाते हैं,
और शामें कटती नहीं !
उम्र फ़िसलती जाती है.....,
और हम बदलते नहीं !!1!!
ज़िन्दगी यहां यूं ही चले
और हम भटकते रहे !
पता नहीं कब दिन ये ढले....,
और हम उलझते रहे !!2!!
है ज़िन्दगी का फ़लसफ़ा
देखो कितना अजीब !
हैं हम स्वयं से ही ख़फ़ा....,
नहीं आए अपने करीब !!3!!
हर मोड़ पर आकर हम
यहां क्यों ठहर जाते !
है विश्वास स्वयं में कम......,
तभी कदम हैं लड़खड़ाते !!4!!
है पास ये ज़िन्दगी
तब भी हैं यहां उदास !
कर लो ज़रा बंदगी.....,
तृप्त होगी ये प्यास !!5!!
क्यों ठुकराए यहां चलते हो
है जो भी तुम्हारे पास !
वक़्त खींच लेगा इसे.....,
तब आएगी तुम्हें याद !!6!!
है ये नसीब तुम्हारा कि
मिली है तुम्हें सौगात !
मत भूलते चलना कभी....,
तुम अपनी यहां औकात !!7!!
- सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान