तू इंसान है, अवतार नहीं - सुनील गुप्ता

(1)"तू ", तू भगवान नहीं
ना है ईश्वर !
कोई अवतार नहीं....,
है इंसान यहां पर !!
(2)"इंसान ", इंसान है बस
रख ये ध्यान !
क्यूँ बनता तू....,
यहां पे भगवान !!
(3)"है ", है जो भी
वो है नहीं तेरा !
कर्मों से बंधा.....,
ये जीवन तेरा !!
(4)"अवतार ", अवतार यहां पे
लेता परमेश्वर !
फिर बदों को.....,
दिखलाए राह ईश्वर !!
(5)"नहीं ", नहीं जीत है
ना कोई हार !
चल उठ बढ़जा....,
यही जीवन सार !!
(6)"तू इंसान है,
अवतार नहीं !
तेरे गिरने में.....,
तेरी हार नहीं !!
(7)" कौन है जीता
कौन है हारा !
बस, किस्मत का.....,
इंसान है मारा !!
- सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान