हुनर  आता  है - सम्पदा ठाकुर

 
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तुम्हे हमको सताने का,
हुनर क्या खुब आता है।
सता कर फिर मनाने का,
हुनर क्या खूब आता है।
मोहब्बत मुझसे है लेकिन,
सजाते शाम गैरों का,
हमारा दिल जलाने का,
हुनर क्या खूब आता है।
नही अनजान तेरे दिल
कि धङकन से मेरे हमदम,
मोहब्बत आजमाने का
हुनर क्या खूब आता है।
मेरी हर सांस पे है,
नाम तेरा ही लिखा दिलबर,
मुझे मुझसे चूराने का
हुनर क्या खुब आता है।।
- सम्पदा ठाकुर, मुंगेर  

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