तन्हा है सफ़र - ज्योत्स्ना जोशी

 
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तन्हा है सफ़र  मगर लाचार नहीं हूं, 
किसी बिकी हुई खबर का किरदार नहीं हूं।

अपने आप को भी तो कुछ जवाब देने हैं, 
मजबूरियों में गिरवी रखा हालात नहीं हूं।

जहां आने जाने से कोई फ़र्क ही ना पड़े,
मैं उस भीड़ तंत्र का बाजार नहीं हूं।

कुछ भी ऐसा नहीं है जो मेरा ईमान डिगा दे,
 हुक़्मरानों के दहलीज की दरकार नहीं हूं।

क्या चांद रुका है या सूरज बंदिश में रहा?,
रुह को नापसंद हो  वो आवाज़ नहीं हूं।
- ज्योत्स्ना जोशी #ज्योत , देहरादून , उत्तराखंड
 

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