तीज - झरना माथुर
Aug 20, 2023, 20:14 IST
मेहंदी भी रचने वाली है,
कानों में झूमे बाली है,
अब तो आजा मेरे सजना,
सावन की मेहंदी आयी है।
ऐसा सावन ये आया है,
मन को मेरे ये भाया है,
बूंदे गिरती कैसी छम छम,
काला बादल भी छाया है।
बागों में झूला झूले हम,
गीतों में मल्हार गाए हम,
फूलों पे भंवरो की गुंजन,
पावस दिन ये मनाये हम।
- झरना माथुर, देहरादून, उत्तराखंड