वो कहानी कुछ और ही थी - रश्मि मृदुलिका
Jan 31, 2025, 23:01 IST

जो तुमने पढ़ी, समझी,
जिसे सोचते हुए रात गुजारी,
जिसके शब्दों में तुम उलझ गए
जिसमें लिखे चेहरों को,
तुम हर पन्ने पर ढूढ़ते रहे ,
वो कहानी जिसका आरम्भ,
विस्तार और अंत तुम्हें छूने की बजाय,
और बैचेन कर गया,
जो अब भी तुम्हे अधुरी लगती है,
सच ये है कि जो कहानी तुमने पढ़ी,
सोची, समझी और बैचेन कर गई
वो केवल एक भ्रम है,
जो अन लिखी रह गई,
वो कहानी कुछ और ही थी|
- रश्मि मृदुलिका, देहरादून