तेरी आंखों का काजल...! - राजू उपाध्याय

 
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  बरसा है
  रुक-रुक के 
  फिर से 
  तेरी यादों का 
  बादल...!
  लहरा है
  छुप-छुप के 
  फिर से 
  तेरी चाहों का
  आँचल..!
  तैर रहे हैं
  नैन झील में 
  फिर से कुछ 
  मधुमासी
  सपने,,
  बुला 
  रहा है मूक
  इशारों से,
  तेरी आंखों का
  काजल...!
 #राजू उपाध्याय, एटा , उत्तर प्रदेश

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