हिन्दी दिवस कार्यक्रम में काव्य पाठ 6 घंटे लगातार चला
Utkarshexpress.com- शनिवार दिनांक 14 सितंबर 2024 को साहित्य अर्पण अंतरराष्ट्रीय मंच द्वारा हिंदी दिवस पर विशेष ऑनलाइन कार्यक्रम आयोजित किया गया।
कार्यक्रम का संयोजन साहित्य अर्पण के सी. ई. ओ. नेहा शर्मा द्वारा किया गया. सुधीर अधीर ने मुख्य अतिथि का पद सुशोभित किया एवं लगातार उपस्थित रह सभी रचनाकारों का उत्साहवर्धन किया. यह कार्यक्रम कई मायनों में विशेष रहा। कार्यक्रम में हिन्दी दिवस विशेष साझा संग्रह 'नवीन अवचेतन मन साहित्य सुमन' के कवर पेज का डिजिटल अनावरण किया गया.इस आयोजन में नौ राज्यों ने सहभागिता की थी। कार्यक्रम 6 घंटे लगातार चला।
6 घंटे चले कार्यक्रम का संचालन बारी-बारी से शिप्रा ज्ञानेंद्र ईरम, नयना कक्कड़ गुप्ता,विनीता लावण्या, हेमा आर्या, स्मिता, सपना व्यास एवं ऋषिकेश खोडके ने किया.
हरियाणा शाखा से अजय कुमार नवोदय,पूनम पुष्करणा शर्मा,भारती कौशिक एवं हेमंत अग्रवाल जुड़े.उत्तराखंड शाखा से संगीता वर्मानी,अंशु जैन,शोभा पाराशर,सौ सिंह सैनी एवं सीमा शर्मा.झारखंड शाखा से स्मिता, डॉ अनंग मोहन मुखर्जी,सत्या सिन्हा। कर्नाटक शाखा से भगवती सक्सेना गौड़,प्रबल प्रताप सिंह राणा 'प्रबल',अनुराधा के,कृष्ण मिश्रा एवं संदीप उपाध्याय 'सरल'. राजस्थान शाखा से मुकेश हर्ष भारत,सारिका बिस्सा,मुकेश कुमावत,रीता पालीवाल एवं विशाखा तिवारी, दुर्गेश पांडेय, पूर्वी उत्तर प्रदेश शाखा से कलीम जाफरी, शिवा प्रभारन, कंचन पाण्डे,अवधेश कुमार श्रीवास्तव, मोहम्मद महताब नार्वी एवं हमारे मुख्य अतिथि सुधीर अधीर ने सहभागिता की.पश्चिमी उत्तर प्रदेश से प्रिया तायल, सुमन मलिक,शबनम यादव, वर्षा अग्रवाल, शोभित गुप्ता एवं आशा खन्ना. महाराष्ट्र शाखा से लक्ष्मी यादव,अभिलाष अरुण,वैदेही संचेती,ज्योति नायक,नयन भादुले, पल्लवी रानी ने आयोजन में अपनी रचना पाठ किया।
साहित्य अर्पण की यह पहल हिंदी भाषा के सभी साहित्यकारों को एक मंच देने की रही है। साथ ही भाषा के विस्तार में अपनी सहभागिता देने की भी रही।
इस आयोजन में हिंदी के साथ-साथ समाज के अन्य समस्याओं पर भी विचार किए गए। वक्ताओं ने महिलाओं की स्थिति को दर्शाते हुए कहा कि वह अब अबला नहीं मानी जाती बल्कि सक्षम और समर्थ हो गई हैं। हिंदी भाषा का महत्व सिर्फ एक दिन ही सीमित ना रहे इस पर भी सभी रचनाकारों ने सहमति दर्शायी। रुचिका राणा ने जीवन की चुनौतियों का उल्लेख किया। अरुण कुमार ने हिंदी भाषा और संस्कृति पर महत्व की महत्व पर अपनी रचना प्रस्तुत की। वैदेही जी ने साहित्य और कविता का उत्सव पर अपनी रचना साझा ऋषिकेश खोडके ने सुझाव दिया की 'नवीन अवचेतन साहित्य सुमन' को विभिन्न शहरों की केंद्रीय लाइब्रेरी में रखा जाए। लक्ष्मी यादव ने हिंदी भाषा की महत्व को रेखांकित किया.ज्योति नायक ने कविता में निसर्ग और जीवन के विभिन्न पहलुओं का वर्णन किया। पल्लवी रानी ने बताया हिंदी को 14 सितंबर 1949 को विभिन्न राज्यों की राष्ट्रभाषा राजभाषा का दर्जा दिया गया और 1950 में से भारतीय अकादमी भाषा का दर्जा भी मिला.इसलिए इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाते हैं। लक्ष्मी यादव ने शहीदों के शहादत को अपनी रचना में प्रस्तुत किया और ज्योति नायक ने नदियों के महत्व को बताया।
श्रोताओं ने जुड़कर रचनाकारों की हौसला अफजाई की। इस कामना के साथ कि हिंदी का कोई एक दिवस ना हो बल्कि हमारे हर दिवस में हिंदी हो" कार्यक्रम का समापन किया गया।