ये आंसू मेरे  - रश्मि मृदुलिका

 
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आंखों से निकले, मुस्कुराहटों में खो गए, 
ये आंसू मेरे थे कभी,अब बेवफा हो गए।

आंखों में मेरे रहे , बहे दूसरों के लिए, 
ये आंसू मेरे कब थे, जो पराये हो गए। 
 
मेरी खुशी में हंसे, रोये गम की शब में, 
ये आंसू कभी दोस्त कभी बैरी हो गए।
 
खुदगर्ज आंसू पलकों में ठहरें रहें, 
दिन की तपिश देख भाप बन उड़ गए। 

कारवान-ए-हयात सुकून से चल रहा, 
ये आंसू मेरे हमदम मेरे हमसफ़र हो गए।

खत्म हो गया दुनिया में बुतपरस्ती का दौर, 
ये आंसू फिर से इब्तिदा-ए-इश्क़ हो गए।
- रश्मि मृदुलिका,  देहरादून , उत्तराखंड
 

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