थक गया हूं - सुनील गुप्ता
Sat, 29 Apr 2023

थक गया हूं
अब चलते चलते !
ठहर गया हूं........,
राह में चलते चलते !!1!!
बदल गयी हैं
ज़िन्दगी की राहें !
बैठ गया हूं......,
सोचते जम्हाई लेते !!2!!
चलते चलते
गुजर गयी उमर !
अब बीच राह में.....,
सूझे ना डगर !!3!!
जाना कहां है
और किधर जा रहे !
पता ठिकाना......,
सभी भूलते जा रहे !!4!!
पूछें तो पूछें
हम यहां किनसे !
बताने वाले सभी.....,
ख़ुद ढूंढ़ते रास्ते !!5!!
कौन हूं मैं
ऐ ज़िन्दगी बता !
थक गया हूं.......,
यहां ढूंढ़ते पता !!6!!
ख़ुद भ्रमित हूं
और सुझाए कुछ ना दे !
हालातों पर......,
सब छोड़ दिया मैंने !!7!!
अब तो तेरी ही
बची एक आस !
आकर बुझा दे......,
मेरी ये प्यास !!8!!
कर रहा हूं
नित बंदगी तेरी !
है मुझे भरोसा......,
कृपा मिलेगी तेरी !!9!!
-सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान