वसंत पंचमी - डा० क्षमा कौशिक
Feb 14, 2024, 23:01 IST
आ रहा ऋतु राज मनहर, ओढ़ कर पीला दुशाला,
प्रेयसी वसुधा को देता प्रीत का अनुपम पियाला।
गूंजता कलरव खगों का, गीत कोयल गा रही है,
आम की डाली में छिपकर, प्रेम रस बरसा रही है।
भर सुवासित गंध प्रेमिल पवन उड़ता आ रहा है,,
श्वास वीणा पर तरंगित, गीत भंवरा गा रहा है।
लाज से भर कुसुम यौवन,भ्रमर से संकुचा रहा हैं,
और हठीला भ्रमर आकर पुष्प पर मंडरा रहा है।
दिक दिशाओं में बसी है गंध टेसू की मनोहर
पुलक तीसी हंस रही है,नीलवर्णी ओढ़ चादर।
पहन कर धानी चुनरिया धरा गर्वित हो रही है,
प्रेम पूरित नयन से अंबर पिया को तक रही है।
आ गई है रुत सुहानी मदन का शर हाथ लेकर,
आ गई है ऋतु बसंती प्रेम का संदेश लेकर।
डा० क्षमा कौशिक, देहरादून , उत्तराखंड