किधर जाए - अनिरुद्ध कुमार
Sep 29, 2024, 22:24 IST
बोल ना आदमी किधर जाए,
रात-दिन सोंचते गुजर जाए।
नफरती बात से जले तन-मन,
देख माहौल दिल लहर जाए।
दर-ब-दर बे-कदर फिरे मारा,
जिंदगी चाहता सँवर जाए।
आफतों से घिरा रहे हरदम,
ढ़ूढ़ता राह की उबर जाए।
आज इंसान भटकता दर-दर,
गर मिले छांव तो ठहर जाए।
उलझनें लाख जी रहा इंसा,
दो घड़ी चैन से पसर जाए।
अब कहाँ प्यार पे भरोसा'अनि',
लोग पहचान ले अगर जाए।
- अनिरुद्ध कुमार सिंह, धनबाद, झारखंड