कौन नहीं डगमग होगा - भूपेन्द्र राघव

 
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कौन   नहीं    डगमग    होगा
इन   सोमरसी  मयखानों   से...
कौन   नहीं    घायल    होगा
इन  भृकुटि  तीर कमानों  से...
किस दिल में ना ज्वार उठेगा
देख   चंद्र   अतिशय  प्यारा...
चंचरीक  अधरों  पर  आकर
प्राण      तजेगा     बेचारा...
इन  केशों में  उलझ ना जाए
कौन    भला   योगी    होगा...
तुम्हे  देख  न  हुआ  मूर्छित
सचमुच    त्रिलोकी     होगा...
गोर  वर्ण   ग्रीवा  आलिंगित
रजत  मोतियों   की    माला...
नीलाम्बर  मरमरी  बदन पर
स्वर्ग  सुन्दरी    ओह! बाला...
तुम उपमा   हो  सुंदरता  की
सचमुच  एक  मणी   सी  हो...
कान्हां की स्यमन्तक हो तुम
रत्न   जड़ित   मुंदरी  सी  हो...
- भूपेन्द्र राघव, खुर्जा, उत्तर प्रदेश

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