2024 में कौन बैठेगा सत्ता की कुर्सी पर - सरदार मनजीत सिंह

 
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utkarshexpress.com - वर्ष 2024 शुरू होते ही देश में राजनीतिक हलचल भी शुरू हो चुकी है। सत्ता पक्ष की बैठकों का दौर  शुरू हो गया है तो विपक्ष भी जागरूक होने लगा है मगर अभी इतना सक्रिय नहीं है जितना बीजेपी सत्ता में होने के बावजूद सक्रिय दिखाई दे रही है ।भाजपा  सत्ता में है और सत्ता में होते हुए न तो वह अति आत्मविश्वास में है न उसकी सोच देख लेंगे सोच लेंगे जैसी है।
पूरे देश के हर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी कार्यकर्ताओं को जागरूक करने में जुटी  है ।कागज वर्क शुरू हो चुका है ।वोटर लिस्ट से लेकर बूथ प्रचार सबके लिए टीमें गठित की जा रही है। कॉलोनी से लेकर गांव, शहर हर जगह बैठकों का दौर भाजपा की चिरपरिचित शैली में आरंभ हो चुका है।
वैसे भी भारतीय जनता पार्टी ने पूरे देश में कई कार्यक्रम चला रखे हैं  उन्ही कार्यक्रमों  को विस्तार दिया जा रहा है भारत विश्व गुरु, भारत विकसित देश,  आत्मनिर्भर भारत, मेरी माटी मेरा देश, अयोध्या जी  में 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा (भले ही धार्मिक प्रोग्राम है मगर फिर भी इसका लाभ भारतीय जनता पार्टी को ही मिलेगा )जैसे कार्यक्रम पूरे देश में चल रहे हैं।इनके अलावा अन्य और भी कई कार्यक्रमों के माध्यम से पार्टी कार्यकर्ता व जनता को जोड़ने के पूरे पूरे प्रयास किये जा रहे हैं।
भाजपा सभी कार्यक्रमों के माध्यम से सिर्फ कार्यकर्ताओं को ही नहीं  साथ-साथ देश जोड़ने की भी  बात करती है।
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विश्व का एक बड़ा चेहरा है ।मोदी जी देश की राजनीति में एक सुपर हीरो की तरह छाए हुए हैं।उन्होंने भारतीय राजनीति में अपनी स्पष्ट पहचान बना ली है । भारतीय जनता पार्टी के प्रचार के सामने विपक्ष कहीं खड़ा नजर नहीं आता है।
अब अगर बात करें पूरे विपक्ष की तो मुकाबले में सिर्फ कांग्रेस ही  नजर आती है ।सड़क पर  कांग्रेस पहले भी  भारत जोड़ो यात्रा निकाल चुकी लगभग 4000 किलोमीटर की पदयात्रा राहुल गांधी के नेतृत्व में संपन्न हुई ।
अब अगर कोई यह  कहे यात्रा का कोई लाभ नहीं तो गलत होगा भले ही आज उसका लाभ न दिख रहा हो मगर फिर भीआज देश की जनता विपक्ष के रूप में केवल कांग्रेस को मानती है।
कांग्रेस भाजपा के विरूद्ध सड़कों पर है - 
राहुल गांधी का भले बीजेपी वाले मजाक  उड़ाते हो मगर राहुल गांधी ही प्रधानमंत्री मोदी के सामने एक मात्र ऐसा जाना पहचाना  चेहरा है जो पूरे देश में पहचाना जाता है। मोदी के सामने कुल मिलाकर विपक्ष मतलब कांग्रेस और कांग्रेस मतलब राहुल गांधी ही हैं।

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देश की ज्यादातर विपक्षी पार्टियों  ने मिलकर आगामी चुनाव को लड़ने का फैसला लिया, गठबंधन भी बनाया और गठबंधन के बैनर तले चुनाव लड़ने की तैयारी की बात भी कही लेकिन यहांअभी पिक्चर साफ ही नहीं है।यहां तो अभी प्रधानमंत्री कौन, संयोजक कौन की खींचतान के बीच सीटों का बंटवारा भी बाकी है। दलों की अंदरूनी और आपसी खींचतान अनेक  सवाल खड़े कर रही हैं।  
1977  में जब जनता पार्टी का गठन हुआ था तब सारा विपक्ष जनता पार्टी के  बैनर के नीचे एकजुट था। इमरजेंसी के दौरान देश के सभी बड़े नेता जेलों में थे ।उस समय कांग्रेस सत्ता में थी ।देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लगा रखी थी लगभग 19 माह के बाद  नेता जब जेल से बाहर आए तो चुनाव लड़ने के लिए किसी के पास ज्यादा पैसे भी नहीं थे उस समय सारा विपक्ष एकजुट होकर सड़कों पर था पर आज स्थिति बहुत अलग है।
आज विपक्ष की एकता के बीच पैसा भी फंसा है। किसी भी नेता के पास पैसे की कमी नहीं है।हर विपक्षी नेता पूर्व में किसी न किसी बड़े पद पर रहा है।अब उसी पद की लालसा के चलते आज विपक्ष में अभी तक एकता नहीं हो पा रही है।वैसे भी कांग्रेस  के  अलावा सड़कों पर कोई बड़ा दल नहीं है।सभी अपनी अंदरूनी राजनीति को ही संभालने में लगे हैं।
   बिखरे विपक्ष में जान डालने राहुल गांधी फिर एक बार यात्रा शुरू कर रहे हैं ।राहुल गांधी14 जनवरी से भारत जोड़ो न्याय यात्रा आरंभ करेंगे।यह यात्रा 66 दिन की होगी और 15 राज्यों में  6700 किलोमीटर की पदयात्रा  होगी ।इतनी लंबी यात्रा का लाभ अभी दिखाई दे या ना दे मगर राहुल गांधी की लोकप्रियता जरुर बढेगी। इसका लोकसभा चुनावों में कितना लाभ मिलेगा यह आने वाला वक्त ही बताएगा वैसे अभी देश के राजनीतिक दलों की कार्यशैली देख लगता है कि चुनावी समर में भाजपा को कड़ी टक्कर केवल कांग्रेस ही दे पाएगी।
अब आने वाले दिन बताएंगे कि क्या रंग लाती है विपक्ष की एकता। विपक्ष की एकता पर भी कई सारे सवाल खड़े हैं दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी अपने पुरजोर तरीके से देश में कार्यक्रम  चला रही है तो विपक्ष की ओर से एकमात्र राहुल गांधी ही सड़कों पर न्याय यात्रा निकाल रहे हैं।कुल मिलाकर यह तो तय है कि लोकसभा चुनावों में मुख्य मुकाबला तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी और राहुल गांधी की कांग्रेस पार्टी के बीच ही होना है। 
- (विनायक फीचर्स)  (लेखक आध्यात्मिक , सामाजिक विचारक एवं राजनीतिक विशेषज्ञ हैं)
 

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