अखिल भारतीय रोहिला क्षत्रिय विकास परिषद के संस्थापक डाक्टर कर्ण वीर रोहिला की 25 वी पुण्य तिथि मनाई गई

 
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utkarshexpress.com टपरी (सहारनपुर) विनोद निराश - रोहिला क्षत्रिय विकास परिषद  के संस्थापक डाक्टर कर्ण वीर सिंह रोहिला की पुण्य तिथि रोहिला औद्यौगिक प्रशिक्षण संस्थान टपरी (सहारनपुर) में  श्रद्धा भाव से मनाई गई।. पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार  आज 17 मार्च 2024 रविवार को अखिल भारतीय रोहिला क्षत्रिय विकास परिषद रजिस्टर्ड1988 ईस्वी (सम्बद्ध अखिल भारतीय  क्षत्रिय महासभा भारत1897ईस्वी) के संस्थापक रोहिला क्षत्रिय शिरोमणि डाक्टर कर्णवीर सिंह रोहिला की 25वी पुण्य तिथि मनाई गई। इस अवसर पर अनेक वक्ताओं ने अपने विचारों से डाक्टर कर्ण वीर सिंह रोहिला को श्रद्धांजलि दी। समय सिंह पुंडीर ने अपनी श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि आज ही की तारीख 17 मार्च को होली के दिन सन 2000 ईस्वी में इस रोहिला क्षत्रिय समाज के दुर्भाग्य ने उन्हें भौतिक शारीरिक रूप से हमसे प्रथक कर नियति का कार्य पूर्ण किया था, किंतु हम सदेव उन्हे अपने साथ सूक्ष्म शरीर में आत्मिक रूप से अनुभव करते रहते है, और प्रत्येक वर्ष हम सभी उनके द्वारा प्रदत्त रोहिला धाम एक तीर्थ स्थल रूपी रोहिला ओद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान उनकी कर्मभूमि टपरी में एकत्र होकर उनके बताए मार्ग को स्मरण करते है और उसका निर्वाहन करने को  विचार विमर्श भी करते है। 
आज फिर हम इसी स्थल पर एक बैठक के रुप में इकट्ठे हुए और सामूहिक श्रद्धांजलि, पुष्पांजलि और शब्दांजलि अर्पित की। आजादी के बाद बहुत संगठन अस्तित्व में आए किंतु रोहिला क्षत्रिय समाज को उसके मूल रूप की पहचान दिलाने में विफल रहे,ऐसे में आदरणीय डाक्टर कर्णवीर सिंह रोहिला सुपुत्र श्री सुगन सिंह रोहिला  का प्रदुर्भव छः जून 1936 को गांव भांकला में हो गया,वे अपने व्यवसाय चिकत्सा हेतु चंडीगढ़ चले गए और अनेकों कीर्तिमान स्थापित किए। 

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रोहिला क्षत्रिय समाज की दुर्दशा से भी वे अपरिचित नही रहे और अपने व्यवसाय के साथ साथ कुछ न कुछ सोचते रहते थे,।अंततः वे अपने घनिष्ट मित्रों के साथ भारत भ्रमण पर निकले तथा रोहिला क्षत्रिय समाज को इकट्ठा करने का एक सफल प्रयास कर अखिल भारतीय रोहिला क्षत्रिय विकास परिषद की स्थापना की और रोहिला क्षत्रियों को क्षत्रिय पहचान दिलाने हेतु श्री दर्शन लाल रोहिला जी को इतिहास लिखने की प्रेरणा दी,इतिहास छपवाया और पूरे भारत के रोहिला क्षत्रिय समाज को घूम घूम कर अपने सहयोगियों को साथ लेकर एक महासम्मेलन बुलाने की तैयारी की जिसके परिणाम स्वरूप 22 अक्टूबर 1989 को अग्रवाल धर्म शाला सहारनपुर में भव्य सम्मेलन  का ऐसा आयोजन किया गया कि पूरा क्षेत्र आश्चर्य चकित रह गया कि इतने रोहिला क्षत्रिय अब तक थे किधर! विषमयकारी स्थिति देखी सभी ने और अनुशासन तथा शालीनता के साथ महासम्मेलन सफल होने की सभी अखबारों ने सुर्खिया बटोरी, इस महासम्मेलन की अध्यक्षता डॉक्टर साहब ने उत्तराखंड के तत्कालीन इंका मंत्री,ओर राजपूत  शिरोमणि  हीरा सिंह बिष्ट से कराई उन्होंने कहा फिर देश को सोने की चिड़िया बनाए रोहिला राजपूत! इस महासम्मेलन में अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉक्टर आनंद सुमन सिंह अपने बहुत से राजपूत साथियों के साथ आमंत्रित रहे थे। डाक्टर कर्णवीर सिंह ने  १९९५ में रोहिला आई टी आई की स्थापना की और अपना पूरा भवन बिना किराया लिए समाज को कार्यशाला हेतु  दिया। वे निरंतर सामाजिक उत्थान के कार्यों में लगे थे जिससे रोहिला क्षत्रिय समाज को एक विशेष अनुशासित क्षत्रिय समाज के रूप में जाना जाने लगा था किंतु अचानक ऐसा तूफान आया कि उन्हें आज के दिन १७ मार्च को क्रूर काल के ग्रास में समा लिया गया। हम आज उन्हे याद करते हुए शपथ लेते है कि उनके बताए मार्ग पर चलेंगे, ईमानदारी के साथ कार्य करेंगे , आइए हम सब मिल कर एक  क्षत्रिय रोहिला समाज का नव निर्माण करे। और डॉक्टर साहब के सपनो का समाज तैयार करे यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी, उनकी पच्चीस वी पुण्य तिथि पर आदरणीय डाक्टर कर्ण वीर सिंह रोहिला अमर रहे। 
साथ ही अनेको वक्ताओं ने डाक्टर कर्ण वीर सिंह रोहिला के द्वारा किये गए समाज  हित के कार्यों पर प्रकाश डालते हुए उन्हें नमन किया। इस श्रद्धांजलि समारोह में लगभग दो सो सदस्य उपस्थित रहे। सभा की अध्यक्षता डॉक्टर धर्मपाल सिंह रोहिला शामली राष्ट्रीय अध्यक्ष ने की तथा सभा का संचालन मास्टर कुलदीप सिंह रोहिला राष्ट्रीय महामंत्री सहारनपुर ने किया। इसके उपरांत पूर्व निर्धारित कार्य क्रम और बैठके सम्पन्न हुई। इस अवसर पर दिलबाग सिंह , मदन सिंह , नरेश रोहिला, राम कुमार, कुलदीप रोहिल्ला , समय सिंह पुंडीर, विनोद रोहिला,नरेश राणा, रामपाल सिंह सहित हरियाणा , उत्तराखंड के लोगो ने भी इस श्रद्धांजलि में शिरकत की।  

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