कांग्रेस में किसे मिलेगी राज्यों की कमान

 

कांग्रेस में किसे मिलेगी राज्यों की कमान

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने तीन राज्यों में जीत के बाद स्वीकारा कि नेताओं के बीच तनाव के बाद भी सब एक साथ मिलकर चले। वे इस बात के लिए भी आश्वस्त हैं कि मुख्यमंत्री के चयन आसानी से हो जाएगा। बावजूद मध्यप्रदेश और राजस्थान में नेताओं के समर्थक खुलकर आमने-सामने खड़े हैं। कांग्रेस अध्यक्ष ने फिलहाल आपस में बैठकर तय करने को कहा है। राज्यों में बुधवार को विधायक दल की बैठक बुलाई गई है जिसके बाद सही तस्वीर साफ होगी।

छत्तीसगढ़ में भारी बहुमत पाने वाली कांग्रेस ने वहां किसी को सीएम उम्मीदवार के तौर पर पेश नहीं किया था और न ही मध्यप्रदेश और राजस्थान की तरह वहां स्वयंभू सीएम उम्मीदवार थे। राज्य में संगठन खड़ा करने वाले प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल मजबूत दावेदार बनकर उभरे हैं। हालांकि कांग्रेस ने मोदी लहर में राज्य से जीतकर आए एकमात्र सांसद ताम्रध्वज साहू को अंतिम समय उम्मीदवार बनाकर मैसेज देने की कोशिश की थी। साहू अनुभवी हैं और राहुल गांधी ने उन्हें विधानसभा चुनाव में उतारा था लिहाजा पार्टी इसे संकेत मान रही है।

राजस्थान में कांग्रेस ने किसी तरह बहुमत का जादुई आंकड़ा तो जुटा लिया लेकिन मजबूती से सरकार चलाने के लिए छोटे दलों या निर्दलीय विधायकों को भी साथ लेना चाहेगी। अशोक गहलोत को पुराना तर्जुबा है और जीतकर आने वाले अन्य विधायकों में कई कांग्रेस के बागी हैं। सूत्रों की मानें तो अपना दावा मजबूत करने के लिए गहलोत ने उनसे संपर्क भी साध लिया है।

दूसरी ओर प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट हैं जो लंबे समय से राज्य में कांग्रेस की जमीन तैयार करने में जुटे थे। दोनों ही नेता राहुल के करीबी हैं कसौटी पर खरे हैं। लिहाजा राहुल की कोशिश इन नेताओं के बीच आपसी तालमेल से समाधान निकालने की है। बावजूद दोनों ही मजबूती से अपने-अपने दावे पर अड़े हैं। मंगलवार शाम को जयपुर में प्रभारी अविनाश पांडेय ने दोनों नेताओं के साथ बैठक भी की लेकिन बेनतीजा रही।

मध्यप्रदेश में नतीजों की तस्वीर और भी ज्यादा धूमिल है और भाजपा वहां सरकार बनाने का मौका तलाश रही है। लिहाजा आपसी घमासान से पहले कांग्रेस की कोशिश राज्य में अपने अंकगणित मजबूत करने की है। कमलनाथ को राहुल ने दिल्ली से मध्यप्रदेश भेजा तो इसी नीयत से था कि आखिरी राजनीतिक पारी राज्य में ही खेलें लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया पिछले विधानसभा चुनाव से इसी आस में हैं कि उन्हें कमान सौंपी जाए।

फिलहाल दिग्विजय सिंह का समर्थन कमलनाथ के साथ और राज्य के कुछ अन्य बड़े नेता खुद चुनाव हार चुके हैं लिहाजा बहुमत सिद्ध करने के खेल में पार्टी कमलनाथ को बेहतर मानकर चल रही है। बुधवार को मध्य प्रदेश के विधायकों की भी बैठक बुलाने को कहा गया है जिसमें दिल्ली से कुछ वरिष्ठ नेता भेजे जा सकते हैं।

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