दोहे = Anuradha Pandey
Jul 17, 2020, 07:39 IST
१
पत्र पत्र हर्षित हुए, पीकर वारिद सोम।
डार-डार आभार दें, निरख-निरख घन व्योम।।
२
शिला गेह में कब मिले , बारिश का आनंद ।
भौतिकता के दौर मे , खुशियाँ है सब मंद ।।
३
सन्यासी बादल बने, साधू भादौ मास।
पछुआ पुरवैया डसे, धरती भयी उदास।।
४
कहाँ छुपे हो मेह तुम आओ मन के द्वार।
धरणी व्याकुल प्यास से, खाए बैठी खार।।
५
घनन घनन घन ले सघन, बरसो रे घनश्याम।
कण-कण व्याकुल है धरा, पल -पल जलता चाम।।
६
निर्निमेष आँखे तके, उलझी नभ की राह।
वारि बिंदु कब आ रही , मेटन को उर-दाह।।
= अनुराधा पाण्डेय द्वारिका , दिल्ली