जिंदगी = तृप्ति अग्निहोत्री
Dec 7, 2020, 19:51 IST
जिंदगी
ये जो जिंदगी है,
एक पहेली है।
लाखों की भीड़ है,
फिर भी अकेली है।।
अचानक कोई मिलता है,
दिल जिसको चुनता है।
मन-भंवर में रंग खिलते हैं,
डाल हाथ मे हाथ चलते हैं।।
फिर जिंदगी मुस्काती है,
गुनगुनाती, खिलखिलाती है।
अपना बना इठलाती है,
एकाएक डर से सहम जाती है।।
ये हंसी पल भ्रम औ छलावा है,
अकेले आना औ अकेले जाना है।
यही जिंदगी का सत्य है
इस सत्य को .निभाना है।।
= तृप्ति अग्निहोत्री, लखीमपुर खीरी (उ०प्र०)