वो मुझसे भी गरीब था = किरण मिश्रा

 

वो मुझसे भी गरीब था = किरण मिश्रा

मैं फूल ही कुछ अजीब थी,
कभी नहीं किसी के करीब थी,
जिसे ढूँढती रही उम्र भर.,
वो नहीं मेरा, रकीब था,
मैं कहाँ किसी की नसीब थी,
किस्सा ये अजीबो-गरीब था,
वो जिसे कभी ना मिल सकी,
वो बड़ा ही खुशनसीब था ,
जो मिल के भी कभी ना मिल सका.,.
वो मुझसे भी ज्यादा गरीब था.!
= किरण मिश्रा स्वयंसिद्धा, नोएडा

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