दोस्त = झरना माथुर

 

दोस्त = झरना माथुर

दुनियाँ की भीड़ में,
दोस्त हैं हजारों तमाम,
वो सच्चा दोस्त कहाँ से लाऊं जिसपे हो ऐतबार।
जो मुझे समझ सके,
मुझसे करे वो हर बात,
वो खरा दोस्त कहाँ से लाऊं जो कर सके इकरार।
जीवन के काँटो भरे पथ,
पर जो हो साथ,
वो गुलाब दोस्त कहाँ से लाऊं जिसपे हो अधिकार।
हँसी मजाक की,
जो बातों में हो शामिल,
वो खास दोस्त कहाँ से लाऊं जिससे हो तकरार ।

= झरना माथुर , देहरादून

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