देश हमारा (आलेख) = अर्चना पांडेय
यह देश हम सबका है हम इस देश के हैं। इस देश की नदियाँ, पर्वत, पहाड़, खेत-खलिहान, गलियां, सड़कें सब कुछ हमारे हैं। एक भारतवासी दूसरे का बंधु है। हमें अपनी प्राकृतिक संपदा को संभाल कर रखना है। अपने गली – मोहल्ले और देश को बिल्कुल साफ़- सुथरा रखना है। कूड़े -कचड़े को सही स्थान में डालना है। हम यह जिम्मेदारी किसी और पर डालने की बजाय खुद पर ले तो बहुत अच्छा है। यह देश हमारा है तो यह हमारी पवित्र जिम्मेदारी है कि हम अपने देश को खुशहाल बनाएँ। अपने देश के लोगों को एकता के सूत्र में बाँधने का प्रयास करें।
मनुष्य का मस्तिष्क अथाह ज्ञान का भंडार है। उसकी भुजाओं में असीमित बल है। एक मनुष्य पूरे संसार के लिए काफी है। अब वक्त है गया है कि हम अपने देश के लिए सोचें। कौन हमारे साथ है ये सोचने की बजाय हमें अपने सफ़र पर निकल पड़ना है। अपने देश को खुशहाल और सुंदर बनाने के लिए। अच्छा सोच जादू के जैसा काम करता है। जब हम अच्छा सोचते हैं पूरी कायनात हमारे साथ हो जाती है। हमारा परिवार, हमारा समाज हमारा और देश हमारे साथ खड़ा हो जाता है। हमारे समाज में कुछ बुरे लोग भी है लेकिन जब हम अच्छे लोग एक हो जाएंगे तो वे हमारा कुछ बिगाड़ नहीं पाएंगे। उनको भी अपनी बुराई छोड़कर हमारे साथ हाथ मिलाना ही होगा। तो आइए हम सब अपने आप को अपने देश को समर्पित करते है। = अर्चना पांडेय , तिनसुकिया, असम।