रामू काका मिट्टी लेकर गढ़ते खूब खिलौने==Saroj Yadav

 

रामू काका मिट्टी लेकर गढ़ते खूब खिलौने==Saroj Yadav

रामू काका मिट्टी लेकर गढ़ते खूब खिलौने
मिट्टी के हाथी घोड़े और मिट्टी के मृग छौने
राजा के मजबूत सिपाही वर्दी मिट्टी के पहने
मिट्टी की प्यारी सी दुल्हन और मिट्टी के गहने
मिट्टी के राजा रानी और मिट्टी के सरदार
मिट्टी के ही बरतन भांडे मिट्टी की तलवार
चाक घूमता जोर जोर से सपनों में रंग भरता
नन्हा गोलू बैठ किनारे उसको देखा करता
रामू काका उसको दिखते जादूगर के जैसे
इत्ती सी मिट्टी से आख़िर गढ़ लेते सब कैसे
दिया दिवाली जब भी आये खो जाते है ऐसे
पहले की रंगीन दिवाली याद करें वो जैसे
हर मौसम अब सूखा सूखा आंखे सूनी सूनी
मिट्टी की क्या कीमत जबसे घर में आई चीनी
रामू काका अबसे तुमको रोने हम न देंगे
बहुत जलाई बिजली बत्ती अबकी दीये लेंगे
नही चाहिये चीनी गुड़िया ना ही मोटर कार
दे दो हमको हाथी घोड़े और मोटा सरदार
दे दो हमको हाथी घोड़े और मोटा सरदार
………………………….सरोज यादव””सरु””

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