मनोरंजन

शाम की चाय- भूपेन्द्र राघव

 

जब अंतस  अग्नि सुलगती है,

और प्यास प्यार की जगती है,

जब लुट जाती  दुनियाँ पहले,

और खबर बाद  में  चलती है,

जब  दर्द आंसुओं में मिलकर,

गालों  पर आह! फिसलता है,

मत पूछो ओ दुनिया वालो, दिल रेजा रेजा  जलता है..

दिल  रेजा  रेजा    जलता   है………………………..

जब  शाम  सुहानी  आती  है,

और  याद   पुरानी  आती  है,

सावन  के मौसम  में हँसकर,

जब  कोई  कली  इतराती है,

ये   मंजर   खंजर   लगते  हैं,

ये दिल  बे-बात  उछलता  है,

मत पूछो ओ दुनिया वालो, दिल रेजा रेजा  जलता है..

दिल  रेजा  रेजा    जलता   है………………………..

उन  पूष  की  ठंडी  रातों  में,

सिकुड़े  सहमे  से   हाथों  में,

होती है #चाय की प्याली पर,

क्या बोलूँ  किन  हालातों में,

तेरा  सॅंग  ना  होने  का  गम,

खालीपन कितना खलता है,

मत पूछो ओ दुनिया वालो, दिल रेजा रेजा  जलता है..

दिल  रेजा  रेजा    जलता   है………………………..

– भूपेन्द्र राघव, खुर्जा, उत्तर प्रदेश

 

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